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Brahma kumaris anandpuri hathras

जर्मन छात्र को भारतीय संस्कृति का और ज्ञान से रूबरू कराया

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MYCAL WRITE THIS STATEMENT
-I was feeling really welcome. Of course it was something different for me but as an exchange student from

germany coming to india you expect these new experiences which you never had. That is the main reason why i came to India, so that i can learn a lot about their culture. What I liked the most is that they welcomed me very well. Event tho everyone was dressed in some traditionell beautiful white dresses and I just came with my streetwear, they still accepted me as part of their own.

Since i came to India I try to learn Hindi and right now i can just understand the broad topic but cannot hold a conversation at all. This was still not a problem at all. They were all excited to meet me and I could introduce myself in english and after the ceremony season i even got a personal explanation of their believe in the highest soul Shiva. During my first 5 months of my exchange year in India I already visited some temples and have a brief understanding of some gods and godesses so I really liked all their explanations about their belive and how it is connected to Shiva. After it they showed me also their meditation place and let me meditate there.

It is hard to understand all theses ideas in the beginning but that is why there is a seven-days course for people to  understand it better and including it in their own life.

If I would say what was the best part of it then i would say that they included me in their group so easily. Coming from germany to India and still not knowing the hindi language is sometimes a little bit embarassing for me and i am still trying to improve it, but at this place it was amazing how they accepted me as an individual who likes to learn something new and getting some new experiences. As a forgeiner coming to a new country i appreciate such an amazing welcoming with the bottom of my heart.

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2 अक्टूबर के उपलक्ष में अनेक कार्यक्रमों का आयोजन एवं सहभागिता

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2 अक्टूबर के उपलक्ष में अनेक कार्यक्रमों का आयोजन एवं सहभागिता

तहसील सदर‚ हाथरस में गाँधी जयन्ति के अवसर पर दिया गया व्यसन मुक्ति का संदेश‚ कराई गई प्रतिज्ञा
सेवाकेन्द्र पर नवागत विदयार्थियों ने व्यसनों का किया दान
सेवा पखवाडा के अन्तर्गत प्रेमरघु पैरामेडीकल नर्सिग के विदयार्थियों को मिला आशीर्वचन

प्रजापिता ब्रहमाकुमारी ईश्वरीय विश्व विदयालय के अलीगढ रोड स्थित आनन्दपुरी कालोनी सेवाकेन्द्र की राजयोग शि क्षिका बी०के० शान्ता बहिन के सानिध्य में भारत की स्वतन्त्रता में शान्ति‚ प्रेम‚ सहयोग‚ सत्य और अहिंसा के आधार पर अपनी अहम भूमिका निभाने वाले महात्मा गाँधी एवं ईमानदारी और सेवाभाव के पर्याय पूर्व प्रधानमंत्री पंडित लाल बहादुर शास्त्री के जन्मदिन के उपलक्ष में विभिन्न आयोजनों एवं कार्यक्रमों में सहभागिता हुई।
इस अवसर पर सहज राजयोेग प्रशिक्षण केन्द्र ‚ आनन्दपुरी कालोनी पर नवागत विदयार्थियों में से एक शिवकुमार ने सच्चा शिव की संतान शिव कुमार बनते हुए ने अपने व्यसन (तम्बाकू) का दान व्यसनमुक्ति दानपात्र में दिया।
प्रेमरघु पैरामेडीकल के नर्सिंग प्रथम वर्ष के विदयार्थियों का आगमन सेवा पखवाडा के अन्तर्गत सहजराजयोग प्रशिक्षण केन्द्र पर हुआ। केन्द्र प्रभारी बी०के० शान्ता बहिन ने सभी विदयार्थियों को अभी लगन के साथ शिक्षा ग्रहण करने और शिक्षा के उपरान्त सेवार्थ कार्यक्षेत्र पर जाने की प्रेरणा प्रदान की। उन्होंने कहा कि कोई भी कार्य यदि सेवा समझकर किया जाता है तो वह बोझ महसूस नहीं होता।
गाँधी जयन्ति के अवसर पर तहसील सदर हाथरस में ब्रहमाकुमारी बहिनों एवं भाईयों द्वारा नशे के खिलाफ जारी युद्ध के अन्तर्गत नशे से होने वाली हानियों की जानकारी प्रदान की और उपस्थित स्टाफ एवं अधिकारियों को व्यसन मुक्ति एवं पर्यावरण संरक्षण शपथ दिलाई। दशहरा के अवसर पर बी०के० शान्ता बहिन ने रावण और निराकार परमपिता परमात्मा राम के भी रामेश्वर के सत्य परिचय से सभी को अवगत कराया। उन्होंने कहा रावण वह जो रूलाने वाला हो। आज सच्ची खुशी और हँसी निस्वार्थ भाव से देने वाले बहुत कम और बुराईयों के कारण रूलाने वाले अधिक हैं। ऐसा युग जिसमें हर स्त्री और हर पुरूष पाँच–पाँच विकारों के वशीभूत हो वही रावण के स्वरूप और वही राज्य रावणराज्य है।
इस अवसर पर सेवाकेन्द्र के नियमित राजयोग विदयार्थी एवं प्रेम रघु पैरामेडीकल हॉस्पीटल के डॉ० सतेन्द्र एवं डॉ० प्रिया यादव एवं खुशी ‚ प्रिया‚ अमित ‚ लक्ष्य‚ जीतू उपस्थित थे। उधर सदर तहसील हाथरस में जायोजन में एस०डी०एम० सदर राजबहादुर‚ तहसीलदार लक्ष्मीनारायण वाजपेई‚ नायब तहसीलदार‚ प्रशासनिक अधिकारी शीतल शर्मा सहित सदरतहसील कर्मचारीगण उपस्थित थे।

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अन्तर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस १ अक्टूबर पर हुआ आयोजन ‚ बुजुर्गों का हुआ सम्मान

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अन्तर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस १ अक्टूबर पर हुआ आयोजन ‚ बुजुर्गों का हुआ सम्मान
बुजुर्गों के अनुभव सदैव रहेंगे प्रासंगिक …………….. बी०के० शान्ता बहिन
कहावत है जहाँ न पहुँचे रवि‚ वहाँ पहुँचे कवि लेकिन अब उसमें यह भी जोड देना चाहिए कि जहाँ न पहुँचे कवि ‚ वहाँ पहुँचे अनुभवी। किताबों से पढकर या मोबाइल पर सोशल मीडिया‚ इंटरनेट से जानकारी तो बहुत सी हो सकती हैं लेकिन जिनकी जीवन ही अनुभवों की कहानी बन चुकी हो उनकी बात अलग होती है। ऐसे बुजुर्गों के अनुभव सदैव प्रासंगिक रहेंगे‚ चाहे युग कितना भी आधुनिक आ जाये। जैसे श्रीमद्भगवती गीता और रामचरित मानस और इस संगठन के माध्यम से परमपिता परमात्मा शिव के महावाक्यों का ब्रहमाबाबा द्वारा कराया गया ज्ञानामृत इस भागती दौडती जिन्दगी में सुकून देने के लिए सदैव प्रासंगिक हैं और रहेंगे। बुजुर्गां को भी ए०आई युग में जी रहे युवाओं से हठधर्मिता छोडकर शान्तिपूर्वक अपने अनुभव और विचार रख देने चाहिए‚ फिर चाहें आज की पीढी स्वीकार करे न करे। जो जैसा करेगा वैसा पायेगा यह सिद्धान्त चलता ही रहेगा। उक्त विचार प्रजापिता ब्रहमाकुमारी ईश्वरीय विश्व विदयालय के अलीगढ रोड स्थित आनन्दपुरी कालोनी पर विश्व वृद्धजन दिवस के अवसर पर बुजुर्गों के सम्मान समारोह में राजयोग शि क्षिका और केन्द्र प्रभारी बी०के० शान्ता बहिन ने व्यक्त किये।
ज्ञात हो कि बुजुर्गों और युवाओं के मध्य विचारों की बढती दूरी और वृद्धजनों की सहूलियत के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 1 अक्टूबर 1990 से अन्तर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के रूप में घोषित किया गया‚ तबसे यह हर वर्ष मनाया जाता है।
सीनियर सटिीजन के सुलह अधिकारी एड० गीता शंकर मिश्र ने बताया कि बहुत कम लोगों को सीनियर सिटीजन के अधिकारों की जानकारी ही नहीं होती। हर मंगलवार को तहसील पर वे बुजुर्गां से जुडी हुई समस्याओं का समाधान किया जाता है।
इस अवसर पर प्रतिदिन सहज राजयोग और ज्ञानयोग के नियमित विदयार्थी बुजुर्गों का पीतवस्त्र पहनाकर एवं उपहार देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर सभी वृद्धजनों द्वारा नवरात्रि के अन्तिम दिवस नवमी के अवसर पर दीप प्रज्ज्वलन भी किया गया। वृद्धजनों में पूर्व सहायक कोषाधिकारी दाऊदयाल अग्रवाल‚ पी०एन०बी०के पूर्व प्रबन्धक राकेश अग्रवाल‚ पूर्व फौजी केशवदेव एवं भीमसैन‚ पूर्व शिक्षक यतेन्द्र आर्य‚ निरंजन लाल‚ नानकचन्द‚ भगवानदास‚ अम्बिका‚ ममता‚ राधामाता इत्यादि दर्जनों बुजुर्ग शामिल थे। कार्यक्रम में बी०के० शान्ता बहिन एवं अन्य बहिनों का भी शरदनवमी पर स्वागत किया गया।

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विश्व बंधुत्व दिवस के अवसर पर आयोजित रक्तदान शिविर

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परमपिता परमात्मा शिव का एक गुण है दाता ——-
एक तरफ पहली बार रक्तदान करने की खुशी‚ दूसरी खुशी ब्लड बैंक और ब्रहमाकुमारीज संगठन द्वारा प्राप्त प्रमाणपत्र एवं डोनर कार्ड जिससे किसी जरूरतमंद की मदद की जा सकेगी तीसरा संगठन द्वारा रिटर्न गिफ्ट ‚ इतना सबकुछ एक छोटी सी पहल से प्राप्त होगा‚ ऐसी खुशी आज रक्तदानवीरों के चेहरे पर झलक रही थी। अवसर था प्रजापिता ब्रहमाकुमारी ईश्वरीय विश्व विदयालय के अलीगढ रोड स्थित आनन्दपुरी कालोनी केन्द्र द्वारा विश्व बंधुत्व दिवस के अवसर पर आयोजित रक्तदान शिविर के रक्तदानवीरों के सम्मान का।
इस अवसर पर बी०के० शान्ता बहिन ने कहा कि यह रक्त सात्विक संस्कार‚ सात्विक भोजन वाले ब्रहमावत्सों ने दिया है ‚ जिस किसी को मिलेगा ‚ जल्दी ही स्वास्थ्य लाभ देगा। रक्तदान करने वालों में अधिकांशतः प्रथम बार के रक्तदाता थे। परमपिता परमात्मा शिव को दाता कहा गया है। इसी गुण के कारण वे पूज्यनीय हैं। रक्तदाता भी दाता हैं‚ यह गुण उन्हें परमात्मा की याद दिलायेगा। उन्होंने सभी रक्तदाताओं का आभार व्यक्त किया और पारतोषिक प्रदान किया।


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Brahma Kumaris Anandpuri